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क्या चाहता है आयोग?

प्राय: अभ्यर्थी सोचते हैं कि निबंध के लिए तीन घंटे का समय होता है अत: किसी एक विषय पर तो बड़े आराम से हजारों शब्द लिखे जा सकते हैं. ऐसा सोचकर वे निबंध लिखना आंरभ कर देते हैं और बिना किसी तारतम्यता के दो तीन हजार शब्द उड़ेल देते हैं और सोचते हैं कि काफी कुछ लिख दिया, सौ सवा सौ अंक तो आ ही जायेंगे. इस संदर्भ में अभ्यर्थी को चाहिए कि वह उपयुक्त विषय का चयन करने के बाद जब निबंध लिखना आरंभ करें तो प्रश्र पत्र में उल्लेखित निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढक़र उन्हें रेखांकित कर ले और उन्हीं निर्देशों के अनुसार आगे बढ़े. निबंध प्रश्र पत्र में आयोग का स्पष्ट अनुदेश होता है कि उम्मीदवार की विषय वस्तु की पकड़ चुने गये विषय के साथ उसकी प्रासंगिकता, रचानात्मक तरीके से सोचने की उसकी योग्यता और विचारों को संक्षेप में युक्तिगत और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की क्षमता पर परीक्षक विशेष ध्यान देंगे. इस अनुदेश को ध्यानपूर्वक पढने पर आयोग की अपेक्षाओं को समझा जा सकता है.


कैसे करें तैयारी?

जहां तक निबंध प्रश्र पत्र की तैयारी की बात है, यह एक ऐसी कला है, जिसमें कुछ दिनों में ही परागंत नहीं हुआ जा सकता. निबंध लेखन अभ्यास का खेल है. एक पृष्ठ की सामग्री लिखने के लिए पहले कई पृष्ठ लिखने पड़ सकते हैं. एक विषय पर कितनी ही बार लिखिये. हर बार नया निबंध पहले वाले निबंध की तुलना में बेहतर नजर आयेगा. परीक्षा में ऐसे निबंध आजकल कम आने लगे हैं, जिन्हें रटकर तैयार किया जा सकता हो. यदि ऐसा निबंध आ भी जाये तो उस पर अंक अच्छे नहीं मिलते, क्योंकि ऐसे निबंध में मौलिकता का अभाव रहता है. किसी भी विषय पर अच्छा निबंध लिखने के लिए खुले दिमाग से समुचित अध्ययन और उस पर रचनात्मक चिंतन आवश्यक है. कुछ विषय ऐसे हो सकते हैं, जिनके बारे में अवधारणात्मक ज्ञान अपेक्षित है. आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक निबंध इस श्रेणी में सम्मिलित किये जा सकते हैं. निबंध उन्हीं टॉपिकों पर लिखने चाहिए, जिनसे संबंधित विषयों की अच्छी अवधारणात्मक समझ हो. कुछ विषय ऐसे होते हैं, जिन पर कोई भी विद्यार्थी निबंध लिख सकता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि अच्छा निबंध लिखने के लिए निरंतर अध्ययनशील रहना आवश्यक है. बेहतर होगा कि दो तीन ऐसे क्षेत्रों को तैयार कर लिया जाये, जिनसे सामान्यत: निबंध पूछ लिया जाता है. फिर उस क्षेत्र से संबंधित सामग्री का संकलन कर लिया जाये. इसके लिए समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के संपादकीय तथा अन्य लेख नियिमित रूप से पढने चाहिए और महत्वपूर्ण ‘कटिंग्स’ को एक फाइल में रखना चाहिए. प्रतिदिन कुछ देर चिंतन करने के साथ ही मित्रों के साथ चर्चा करनी चाहिए. इस प्रक्रिया में नये-नये विचार उभरकर सामने आते हैं. महीने में दो-तीन निबंध लिख किसी अच्छे मार्गदर्शन से उनकी जांच भी करा लेनी चाहिए. इसके अतिरिक्त आप अपने


लिखते समय क्या हो रणनीति?

परीक्षा भवन में निबंध लिखते समय सबसे महत्वपूर्ण निबंध के विषय का चयन होता है. विषय का चयन करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि उपयुक्त चयन न कर पाने की स्थिति में आप अपने आप बेहतर तरीके से अभिव्यक्ति नहीं कर पायेंगे. परिणामस्वरूप, कम अंकों से ही संतुष्ट होना पड़ेगा. दस-बारह मिनट तक सोच विचार करने के उपरांत विषय का चयन करके, एक रफ कागज पर उस विषय से संबंधित सभी विचारों को जो आपके मस्तिष्क में पैदा हो रहे हों, नोट कर लीजिए. इसके बाद एक अन्य पृष्ठ पर इन विचारों को एक तार्किक क्रम में लिखकर निबंध की रूपरेखा बनाइये. तत्पश्चात् निबंध की शुरूआत कीजिये. निबंध का इंट्रो ऐसा होना चाहिए कि परीक्षक इसे पढक़र आपके मंतव्य को समझ सके अर्थात् वह यह जाने सकें कि आपने इसी विषय का चयन क्यों किया है और आप इस पर क्या लिखने जा रहे हैं? इंट्रो को पढक़र परीक्षक के मन में संपूर्ण निबंध पढने के प्रति जिज्ञासा का भाव पैदा होना चाहिए. इसके अतिरिक्त निबंधन लेखन के दौरान प्रत्येक नये पैराग्राफ को पूर्ववर्ती पैराग्राफ से युक्तियुक्त ढंग से संबद्धता होने का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वाक्य तथा पैराग्राफ संक्षिप्त होने चाहिए. निबंध की शब्द सीमा के विषय में कोई निर्देश तो दिया गया होता है, फिर भी 1500 से 2500 शब्दों का निबंध सही होता है. शब्द सीमा विषय के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. कल्पनामूलक निबंधों में 1000 शब्द भी पर्याप्त होते हैं. परंतु निबंध पूरा करने के पश्चात् एक बार पुन: दोहरा लें और छोटी-मोटी त्रुटियों को ठीक कर लें. अंत में, निबंध का समापन अथवा निष्कर्ष न्यूनतम शब्दों में आशावाद के साथ पूरा करें.

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